1, 2 और 3
1, 3 और 4
1, 2 और 4
2, 3 और 4
ह्वेनसांग हर्षवर्धन के काल में भारत की यात्रा पर आया। यह भारत में लगभग 16 वर्षों तक रहकर अध्ययन - अध्यापन का कार्य किया। यह नालंदा विश्वविद्यालय में जब आया था उस समय के वहाँ के प्रधान आचार्य शील भद्र थे। इसने सी-यू-की नामक पुस्तक लिखी जिसमें ह्वेनसांग को शीलभद्र कहा।
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