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अठवन
शिष्ट
भोग
उपरि कर
शिष्ट, भूमि कर था जो विजयनगर राज्य की आय का प्रमुख साधन था। जबकि अठवने केन्द्रीय राजस्व विभाग था। भोग और उपरिकर जनता द्वारा दिये गये भेंटों का एक भाग था। राज्य उपज का 1/6 भाग भू-कर के रुप में वसूलता था।
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