1670
1668
1666
1663
1660 ई. में औरंगजेब अपने मामा शाइस्ता खां को दक्षिण का सूबेदार नियुक्त किया और शिवाजी को खत्म करने का आदेश दिया। शाइस्ता खां ने बीजापुर के साथ मिलकर मराठों के विरुद्ध कुछ युद्धों में सफलता प्राप्त की। उसने शिवाजी से पूना, चाकन और कल्यान सहित बहुत कुछ स्थानों तथा किलों को जीतने में सफलता प्राप्त की। किन्तु शिवाजी निरंतर युद्ध करते रहे। 1663 ई. में शाइस्ता खां ने वर्षा ऋतु पूना में बिताने की योजना बनायी। 15 अप्रैल, 1663 ई. को शिवाजी रात्रि के समय पूना में घुसे और शाइस्ता खां के निवास स्थान पर आक्रमण कर दिया। इस संघर्ष में शाइस्ता खां का अंगूठा कट गया तथा उसके पुत्र फतेह खां मारा गया। इस प्रकार यह आक्रमण पूर्ण सफल हुआ तथा शिवाजी के सम्मान में और वृद्धि हुई। इस घटना से मुगलों की प्रतिष्ठा में भारी कमी हुई। शाहस्ता खआं को वापस बुला लिया गया तथा औरंगजेब ने अपने पुत्र मुअज्जम को दक्कन का वायसराय नियुक्त किया।
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