लाल खाँ
शौकी
मोहम्मद हुसैन
कलीम
मुगल बादशाह शाहजहाँ भी अपने पूर्वजों के समान संगीत का प्रेमी था तथा वह स्वयं भी एक अच्छा गायक था। हिन्दी रागों में बादशाह का मनपसन्द राग ‘ध्रुपद राग’ था जो सम्राट के लिये तानसेन के पुत्र विलास खाँ के दामाद एवं शिष्य लाल खाँ द्वारा गाया जाता था। बादशाह ने लाल खाँ को ‘गुण समुन्दर’ की उपाधि से विभूषित किया था।
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