वर्साय की संधि
सेब्रे की संधि
लाओस की संधि
बर्लिन की संधि
28 जून 1919 ई. को मित्र राष्ट्रों ने जर्मनी के साथ एक कठोर एवं जनक संधि की जिसे वर्साय की संधि के नाम से जाना जाता है। वर्साय की संधि के ठीक 20 वर्ष 2 माह 4 दिन पश्चात् यह संसार द्वितीय विश्व युद्ध की चपेट में आ गया। जर्मनी की कैथोलिक सेंटर पार्टी के एजर्बर्गर का विराम संधि के समय वक्तव्य था कि “जर्मन जाति कष्ट सहेगी परन्तु मरेगी नहीं”। स्वभाविक रुप से जर्मनी ने इन अपमानजनक शर्तों को धोने की सफल प्रयास किया। परिणाम स्वरुप कुछ ही वर्षों में यूरोप का राजनीतिक वातावरण अत्यंत अशांत हो और विश्व को प्रथम महायुद्ध से भी अधिक भयंकर एवं प्रलयंकारी युद्ध देखना पड़ा। फ्रांस के मार्शल फौंच के अनुसार → “यह संधि शांति संधि नहीं है, केवल 20 वर्षों का युद्ध विराम है। स्पष्ट है कि इसी संधि में द्वितीय विश्व युद्ध के बीज विद्यमान थे।
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