धारा 359 के तहत 7 साल का कारावास
धारा 360 के तहत 7 साल का कारावास
धारा 363 के तहत 7 साल का कारावास
1 और 2 दोनों
धारा 363 » व्यपहरण के लिए दंड
धारा 360 और धारा 361 के लिए दंड का प्रावधान धारा 363 में दिया गया है. यह अपराध किसी भी प्रकार से समझौता योग्य नहीं है, यह संज्ञेय एवं जमानतीय अपराध है। इनकी सुनवाई का अधिकार प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट को हैं।
(उत्तर प्रदेश में अब यह अजमानतीय अपराध है उ. प्र. संशोधित अधिनियम 1984द्वारा)।
सजा » इस अपराध के लिए 7 वर्ष की कारावास और जुर्माना से दण्डित किया जा सकता है।
Post your Comments