10 वर्ष का कारावास
5 वर्ष का कारावास
3 वर्ष का कारावास
7 वर्ष का कारावास
धारा 408 → लिपिक या सेवक द्वारा विश्वास का आपराधिक हनन
आज के समय में आपने कहीं ना कहीं पढ़ा या सुना जरूर होगा की उसके नौकर या उसके लिपिक (Clerk) या फिर एजेंट ने धोखाधड़ी यानी कि विश्वासघात किया हो। ऐसा ही भारतीय दंड संहिता की धारा 408 के अनुसार यह बताया गया है कि जो भी कोई लिपिक, सेवक या एजेंट होते हुए।
जोकि लिपिक (Clerk), सेवक (नौकर) एजेंट बनकर कार्यरत हो। एवं उस पर विश्वास के तौर पर कार्य कराते है, और वह विश्वासघात वा धोखाधड़ी करता हो। तो वह भारतीय दंड संहिता की धारा 408 के तहत दोषी होगा।
जैसे कि »
उदाहरण से समझते हैं →
एक व्यक्ति जोकि बैंक में कार्यरत है, और वह बैंक में एजेंट का काम करता है। वह व्यक्ति अगर बैंक के पैसों को इधर से उधर करता है या फिर अपने इस्तेमाल के लिए लेता है। तो यह बैंक के बैंक मैनेजर के साथ धोखाधड़ी व विश्वासघात करता है।
तो 7 वर्ष का कारावास और जुर्माना, दोनों में से किसी भी भांति के कारावास से दंडित किया जा सकेगा।
वर्तमान स्थिति की बात करे तो आम जनता को हर जगह लुटना पड़ रहा है, कोई भी व्यक्ति आम जनता के साथ कब लूट कर लेता है, पता ही नहीं चलता है।
एक व्यापारी से लेकर कोई भी शासकीय अधिकारी या कोई एजेन्ट आम जनता को विश्वास दिलाकर कब विश्वास-घात कर दे किसी को पता भी नहीं चलता है। लेकिन ऐसा विश्वास-भंग करने वाले व्यक्ति को भारतीय दण्ड संहिता में कितना कठोर दण्ड दिया जाता है जानिए।
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