धारा 381
धारा 382
धारा 383
धारा 384
धारा 383 आईपीसी » उद्यापन / जबरन वसूली
उद्यापन (धारा-383)
धारा 383 के अंतर्गत उद्यापन की परिभाषा दी गई है जिसके अनुसार जब कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति को स्वयं उसके या अन्य व्यक्ति को जानबूझकर कोई चोट या क्षति पहुंचाने के भय में इस आशय से डालता है कि वह उस व्यक्ति को उसकी कोई संपत्ति या मूल्यवान प्रतिभूति या हस्ताक्षरित अथवा मुद्रांकित कोई चीज जिसे मूल्यवान प्रतिभूति में परिवर्तित किया जा सके परिदत्त करने के लिए उत्तेजित करें तो वह उद्यापन कहलाता है।
चोरी और उद्यापन में प्रमुख अंतर यही है कि उद्यापन में भय होता है जबकि चोरी में कोई भय नहीं होता। चोरी में जिसकी संपत्ति होती है उसे कोई भय नहीं दिया जाता जबकि उद्यापन में भय दिया जाता है। उद्यापन के आवश्यक तत्वों का अध्ययन करने से यह मालूम होता है कि किसी व्यक्ति को चोट या क्षति के भय में डाला जाना, स्वयं उस व्यक्ति को या उससे संबंधित किसी अन्य व्यक्ति को भय दिया जाना, ऐसा भय जानबूझकर दिया जाना, ऐसे भय का परिणाम उस व्यक्ति को कोई संपत्ति या मूल्यवान प्रतिभूति या कोई हस्ताक्षरित या मुद्रण की चीज को जो मूल्यवान प्रतिभूति में परिवर्तित होने योग्य है देने के लिए उत्प्रेरित करना और ऐसा कोई बेमानीपूर्ण आशय से किया जाना।
धारा 380 » निवास-गृह आदि में चोरी
धारा 381 » लिपिक या सेवक द्वारा स्वामी के कब्जे में संपत्ति की चोरी
धारा 382 » चोरी करने के लिए मृत्यु, क्षति या अवरोध कारित करने की तैयारी के पश्चात् चोरी करना
धारा 383 » उद्दापन / जबरन वसूली
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