धारा 386
धारा 387
धारा 388
धारा 389
धारा 386 आईपीसी » किसी व्यक्ति को मृत्यु या गंभीर आघात के भय में डालकर ज़बरदस्ती वसूली करना।
भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 386 की परिभाषा →
कोई भी व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को या उसके अधीन किसी व्यक्ति को मृत्यु का भय या गम्भीर चोट का भय डालकर या धमकी देकर संपत्ति की जबर्दस्ती वसूली करता है, ऐसा करनें वाला व्यक्ति धारा 386 के अंतर्गत अपराध होगा।
भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 386 के अंतर्गत दण्ड का प्रावधान »
इस धारा के अपराध किसी भी प्रकार से समझौता योग्य नहीं है, यह संज्ञेय एवं अजमानतीय अपराध है। इनकी सुनवाई का अधिकार प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट को हैं। सजा- इस अपराध में दस वर्ष की कारावास और जुर्माने से दण्डित किया जा सकता है।
Example → मोहन नामक व्यक्ति किसी रामू नामक व्यक्ति को यह कहता है कि अगर तुमने जमीन के दस्तावेज मेरे नाम ट्रासंफर नहीं किए तो मैं आपके बच्चे को स्कूल से आते समय गाड़ी से दुर्घटना करवा दूँगा। यह पर मोहन धारा 386 का अपराधी होगा क्योंकि मोहन ने रामू को भय उत्पन्न करवाया है।
धारा 386 » किसी व्यक्ति को मृत्यु या गंभीर आघात के भय में डालकर ज़बरदस्ती वसूली करना
धारा 387 » ज़बरदस्ती वसूली करने के लिए किसी व्यक्ति को मृत्यु या घोर आघात के भय में डालना
धारा 388 » मृत्यु या आजीवन कारावास, आदि से दंडनीय अपराध का अभियोग लगाने की धमकी देकर उद्दापन
धारा 389 » जबरन वसूली करने के लिए किसी व्यक्ति को अपराध का आरोप लगाने के भय में डालना
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