धारा 387
धारा 386
धारा 385
धारा 384
धारा 387 आईपीसी » ज़बरदस्ती वसूली करने के लिए किसी व्यक्ति को मृत्यु या घोर आघात के भय में डालना।
भारतीय दंड संहिता की धारा 387 के अनुसार, जो कोई ज़बरदस्ती वसूली करने के लिए किसी व्यक्ति को स्वयं उसकी या किसी अन्य व्यक्ति की मृत्यु या गंभीर आघात के भय में डालेगा या भय में डालने का प्रयत्न करेगा, तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास जिसे सात वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है से दण्डित किया जाएगा, और साथ ही वह आर्थिक दण्ड के लिए भी उत्तरदायी होगा।
अंडरवर्ल्ड डॉन अब्बू सलेम को दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने 7 साल की सजा सुनाई।
सजा सुनाने से पहले शनिवार को कोर्ट ने अब्बू सलेम को आईपीसी की धारा 387 और 502 के तहत दोषी करार ठहराया।
बता दें, दिल्ली के एक व्यापारी को जान से मारने की धमकी देने और रंगदारी के आरोप पर गैंगस्टर अब्बू सलेम को ये सजा सुनाई गई है।
दरअसल, ये केस 2002 के रंगदारी के मामले से जुड़ा हुआ है, आरोप था की अब्बू सलेम ने दिल्ली के ग्रेटर कैलाश में रहने वाले अशोक गुप्ता नामक व्यक्ति को फोन करके जबरदस्ती पैसे मांगने की धमकी दी। सुनने में आया है की सलेम ने व्यापारी से 5 करोड़ रूपए की रंगदारी मांगने को बोला था और साथ में ये भी कहा की अगर 5 करोड़ रूपए नहीं दिए तो उसके पूरे परिवार का कत्ल करवा देगा।
धारा 384 » ज़बरदस्ती वसूली करने के लिए दण्ड
धारा 385 » ज़बरदस्ती वसूली के लिए किसी व्यक्ति को क्षति के भय में डालना
धारा 386 » किसी व्यक्ति को मृत्यु या गंभीर आघात के भय में डालकर ज़बरदस्ती वसूली करना
धारा 387 » ज़बरदस्ती वसूली करने के लिए किसी व्यक्ति को मृत्यु या घोर आघात के भय में डालना
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