धारा 422
धारा 423
धारा 424
धारा 425
422 – ऋण को लेनदारों के लिए उपलब्ध होने से बेईमानी से या कपटपूर्वक निवारित करना
423 – अन्तरण के ऐसे विलेख का, जिसमें प्रतिफल के संबंध में मिथ्या कथन अन्तर्विष्ट है, बेईमानी से या कपटपूर्वक निष्पादन
424 – सम्पत्ति का बेईमानी से या कपटपूर्वक अपसारण या छिपाया जाना
425 – रिष्टि / कुचेष्टा
धारा 425 » रिष्टी
धारा 425 रिष्टि के अपराध की परिभाषा को स्पष्ट करती हैं, उपर्युक्त धारा के अनुसार रिष्टि करने वाले व्यक्ति के अंदर निम्न आवश्यक तत्वों का होना जरूरी है →
1. आरोपी ने किसी संपत्ति को जानबूझकर नष्ट (नुकसान) किया हो या संपत्ति की स्थिति में कोई परिवर्तन किया हो।
2.अगर आरोपी के कारण किसी संपत्ति के मूल्य में कोई कमी आ गई हो। या उसकी उपयोगिता में कमी आ गई हो।
3. आरोपी ने किसी जनता को या किसी व्यक्ति-विशेष को उसकी वैध संपत्ति को हानि पहुचाने से की गई हो।
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