2052
2062
2072
2082
पुच्छल तारा - ब्रह्माण्ड में बहुत सारे पिण्ड सूर्य से दूर स्थित होते हैं। जिनमें बर्फ की एक मोटी चादर चढ़ी होती है। यह पिण्ड धूल,कण, और गैसों से निर्मित होते है। जब यही पिण्ड सूर्य के पास आते हैं। सूर्य की ऊष्मा के कारण बर्फ की मोटी चादर पिघलती है। जिसके कारण इसके अन्दर से गैस का एक फुहारा निकलता है। जो पूँछ की भाँति दिखाई देता है। इसे ही पुच्छल तारा कहते हैं। पिछली बार पुच्छल तारा 1986 में दिखाई दिया था। अगली बार 2062 में दिखाई देगा । क्योंकि इसका समय 76 वर्ष है।
Post your Comments