मत्त विलास प्रहसन का लेखक महेंद्र वर्मन था।
महेंद्र वर्मन चंपा का राजा था।
वे पहले जैन धर्म के अनुयाई थे, पर बाद में उन्होंने शैव धर्म को अपनाया।
महेंद्र वर्मन सिंह विष्णु का पुत्र एवं उत्तराधिकारी था।
छठी सदी से पल्लव का इतिहास अधिक स्पष्ट हो जाता है।
अभिज्ञान शाकुंतलम महाकवि कालिदास का विश्वविख्यात नाटक है जिसका अनुवाद प्रायः सभी विदेशी भाषाओं में हो चुका है।
इसमें राजा दुष्यंत तथा शकुंतला के प्रणय, विवाह, वीरह प्रत्याख्यान तथा पुनर्मिलन की एक सुंदर कहानी है।
राजतरंगिणी कल्हण द्वारा रचित एक संस्कृत ग्रंथ है।
राजतरंगिणी का शाब्दिक अर्थ है राजाओं की नदी, जिसका भावार्थ राजाओं का इतिहास या समय प्रवाह राज तरंगिणी में कुल 8 तरंग है और संस्कृत में कुल 7926 श्लोक है।
जीरो (0), पाई ट्रिग्नोमेट्री संख्या पद्धति का मान आर्यभट्ट ने दिया है।
आर्यभट्ट प्राचीन भारत का एक महान गणितज्ञ एवं खगोलशास्त्र थे।
आर्यभट्ट का जन्म 476 से 550 ईसा पूर्व पाटलिपुत्र में हुआ था।
उन्होंने 23 वर्ष के आयु में आर्यभट्ट नामक पुस्तक की रचना की थी।
गणित की पुस्तक लीलावती का लेखक भास्कराचार्य थे।
विश्व में सभ्यताओं के तरीकों के विकास के साथ ही गिनने, जोड़ने - घटाने के तरीके के साथ विकास में योगदान दिया था।
इन्होंने संख्या 9 के बाद दहाई, सैकड़ा आदि के लिए अलग से चिह्न बनाए गए थे।
इन्होंने बीजगणित में भी अपना योगदान दिया है।
मनु प्राचीन काल के महान विधि निर्माता तथा सामाजिक व्यवस्थापक थे।
मनु का सामाजिक चिंतन उनके द्वारा रचित ‘मनुस्मृति’ नामक धर्म ग्रंथ में संकलित है।
मेघतिथि, भारुचि, कुल्लूक भट्ट, गोविंदराय आदि परवर्ती टीकाकरों ने ‘मनुस्मृति’ पर भाष्य लिखे थे।
वाक्पति मंजू परमार राजा था जो सीयक द्वितीय के दत्तक पुत्र थे और जिन्होंने राष्ट्रकूटों के पश्चात मालवा राज्य स्थापित किया।
गोडवहों की रचयिता वाक्पति को माना जाता है।
वाक्पति मंजू सीयक के दत्तक पुत्र एवं उत्तराधिकारी था।
मनु प्राचीन काल के महान विधि निर्माता तथा सामाजिक व्यवस्थापक थे।
मनु का सामाजिक चिंतन उनके द्वारा रचित ‘मनुस्मृति’ नामक धर्म ग्रंथ में संकलित है।
मेघतिथि, भारुचि, कुल्लूक भट्ट, गोविंदराय आदि परवर्ती टीकाकरों ने ‘मनुस्मृति’ पर भाष्य लिखे थे।
मनु प्राचीन काल के महान विधि निर्माता तथा सामाजिक व्यवस्थापक थे।
मनु का सामाजिक चिंतन उनके द्वारा रचित ‘मनुस्मृति’ नामक धर्म ग्रंथ में संकलित है।
मेघतिथि, भारुचि, कुल्लूक भट्ट, गोविंदराय आदि परवर्ती टीकाकरों ने ‘मनुस्मृति’ पर भाष्य लिखे थे।
पंडित विष्णु शर्मा प्रसिद्ध संस्कृत नीति पुस्तक पंचतंत्र के रचयिता थे।
नीति कथाओं में पंचतंत्र का पहला स्थान है।
उपलब्ध प्रमाणों के आधार पर कहा जा सकता है कि जब इस ग्रंथ की रचना हुई थी तब उसकी उम्र 70 वर्ष के करीब थी।
वे दक्षिण भारत के महिलारोप्य नामक नगर में रहते थे।