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सन्धि
उपसर्ग
अन्वय
अव्यय
व्याकरण की दृष्टि से 'अथवा' अव्यय है।
संज्ञा
क्रियाविशेषण
अविकारी
विकारी
अव्यय का एक और नाम 'अविकारी' है।
एक
दो
तीन
चार
अव्यय के मुख्यतः चार भेद होते हैं- 1. क्रियाविशेषण 2. सम्बन्धबोधक 3. समुच्चयबोधक 4. विस्मयादिबोधक।
प्राणिवाचक
अप्राणिवाचक
निपात
जिसमें लिंग, वचन तथा कारक से कोई विकार नहीं होता है, वह अव्यय कहलाता है।
जो व्यय न किया जा सके
जिसका व्यय न हो
जिसका व्यय हो
जो अमूल्य हो
अव्यय का शाब्दिक अर्थ है- जिसका व्यय न हो।
हाय
अब
मैं
क्या
दिए गए वाक्य में 'हाय' विस्मयबोधक शब्द है। विस्मयादिबोधक अव्यय का कार्य नहीं है।
क्रिया के घटित होने की स्थिति बताना
आश्चर्य सूचित करना
घृणा को सूचित करना
शोक को सूचित करना
अरे!
क्या!
हाय!
शाबाश
आश्चर्यबोधक अव्यय 'क्या!' है।
वह
आया
और
गया
दिए गए वाक्य में 'और' समुच्चयबोधक शब्द है।
सम्बन्धबोधक
संयोजक
विस्मयादिबोधक
विभाजक
परन्तु, लेकिन, वरन् तथा बल्कि समुच्चयबोधक विभाजक अव्यय हैं।