नव नालंदा महाविहार मूल रूप से पालि अनुसंधान संस्थान के लिए विख्यात हैं।
यहाँ पालि और बौद्ध धर्म के विषय में उच्च शिक्षा दी जाती हैं।
मूल रूप से नव नालंदा महाविहार विहार सरकार के द्वारा वेंन भिक्षु जगदीश कश्यप के चिंताधाराओं को मानते हुए साल 1951 को स्थापित किया गया एक विश्व विद्यालय हैं।
महादेवी या महामाया सिद्धार्थ (गौतम बुद्ध) की माता थी।
महामाया कोलिय वंश की थी।
गौतम बुध का जन्म लुंबिनी में 563 ईसा पूर्व इक्ष्वाकु वंशीय क्षत्रिय शाक्य कुल के राजा शुद्धोधन के घर में हुआ था।
इनके जन्म के 7 दिन बाद माता महामाया का निधन हो गया।
इनका पालन-पोषण महारानी की छोटी सगी बहन महा प्रजापति गौतमी ने किया।
मौर्य राजवंश के अभिलेख से इस परंपरा का समर्थन होता है।
लुंबिनी शाक्यमुनि बुद्ध का जन्म स्थान था।
बौद्ध धर्म भारत की श्रमण परंपरा से निकला धर्म और दर्शन है।
इसके प्रथा प्रस्थापक महात्मा बुद्ध शाक्यमुनि थे।
ईसाई और इस्लाम धर्म से पहले बौद्ध धर्म की उत्पत्ति हुई थी।
प्रथम शताब्दी ईस्वी के वसुमित्र बौद्ध भिक्षुक को चीन भेजा गया था।
वसुमित्र प्रसिद्ध बौद्ध दार्शनिक तथा लेखक था।
वह कुषाण सम्राट कनिष्क का समकालीन था।
इतिहास प्रसिद्ध बौद्ध संगीतियों में से चौथी संगीति का सभापतित्व वसुमित्र ने किया था।
धर्मचक्र, भारतीय धर्मो (सनातन धर्म, बौद्ध धर्म, जैन धर्म आदि) में मान्य 8 मंगलो (अष्टमंगल) में से एक है।
बौद्ध धर्म आदिकाल में धर्म चक्र इसका प्रतीक चिन्ह बना हुआ है।
यह प्रगति और जीवन का प्रतीक है।
बुद्ध सारनाथ में जो प्रथम धर्म उपदेश दिया था उसे धर्म चक्र प्रवर्तक कहा जाता है।
महादेवी या महामाया सिद्धार्थ (गौतम बुद्ध) की माता थी।
महामाया कोलिय वंश की थी।
गौतम बुध का जन्म लुंबिनी में 563 ईसा पूर्व इक्ष्वाकु वंशीय क्षत्रिय शाक्य कुल के राजा शुद्धोधन के घर में हुआ था।
इनके जन्म के 7 दिन बाद माता महामाया का निधन हो गया।
इनका पालन-पोषण महारानी की छोटी सगी बहन महा प्रजापति गौतमी ने किया।
बौद्ध धर्म में शिक्षा का केंद्र वाराणसी था।
बुद्ध की शिक्षाओं का ज्ञान हमें पाली त्रिपिटक से ही प्राप्त होता है।
ऋषिपतन (सारनाथ) में बुद्ध ने दुख, दुख समुदाय, दुख निरोध और दुख निरोध गामिनी चार आर्य सत्यों का धर्म चक्र परिवर्तित किया था।
बुद्ध ने अपना अंतिम वर्षा ऋतु वैशाली के वैदौलिया गाँव में बिताई थी।
कुशीनगर भारत के उत्तर प्रदेश में एक प्रसिद्ध बौद्ध तीर्थ स्थल है।
यहां गौतम बुध्द की मृत्यु और अंतिम संस्कार हुआ था।
बौद्ध धर्म के बुद्ध लोगों के शरीर छोड़ने को महापरिनिर्वाण कहते हैं।
यह छोटा किंतु सुंदरनगर बौद्ध मंदिरों और स्तूप के लिए जाना जाता है।
श्रावस्ती में महापरिनिर्वाण मंदिर अवस्थित है।
कुशीनगर भारत के उत्तर प्रदेश में एक प्रसिद्ध बौद्ध तीर्थ स्थल है।
यहां गौतम बुध्द की मृत्यु और अंतिम संस्कार हुआ था।
बौद्ध धर्म के बुद्ध लोगों के शरीर छोड़ने को महापरिनिर्वाण कहते हैं।
यह छोटा किंतु सुंदरनगर बौद्ध मंदिरों और स्तूप के लिए जाना जाता है।
श्रावस्ती में महापरिनिर्वाण मंदिर अवस्थित है।