अलग-अलग अक्षमताओं वाले बच्चों के लिए विशिष्ट शैक्षिक संस्थानों का प्रावधान करना।
दार्शनिकता कि सभी बच्चों को नियमित विद्यालय में समान शिक्षा पाने का अधिकार है।
बच्चों को उनकी योग्यता के आधार पर पृथक करना और व्यावसायिक प्रशिक्षण का प्रबंध करना।
बच्चों की अक्षमताओं के आधार पर, उनकी सीमाओं की पहचान करने के लिए, उन्हें नामांकित करना
बोलती पुस्तकें, स्पर्शीय सूचना पट
छोटी मुद्रा वाली कार्यशीट
बड़े आकार में मुद्रित पुस्तकें
त्रि-विमीय नक्शे और चार्ट
उनके पढ़ने और लिखने की कौशलता के विश्लेषण से।
उनकी जटिल व उच्च-स्तरीय समस्याओं को हल करने की क्षमता का आकलन करके।
उनके सामाजिक एवं सांस्कृतियों संदर्भ को जानकर।
पूर्ण शारीरिक स्वास्थ्य परीक्षण द्वारा ।
प्रश्न हल करने के लिए विशिष्ट निर्देश उपलब्ध कराकर ।
रटने पर आधारित परीक्षा देकर।
चुनौतीपूर्ण कार्य और नीरसता दूर करने के लिए क्रियाकलाप देकर।
वे प्रश्न देकर जिनमें अभिमुखी चिंतन की आवश्यकता है।
एक समस्या
एक व्यवस्थागत मुद्दा
एक गुण और साधन
एक रूकावट
एक ही लिंग के योग्यता समूह बनाना।
क्रियाकलाप के लिए मिश्रित लिंग समूह बनाना और विचार-विमर्श को प्रोत्साहित करना।
लिंगों के जैविक अंतरों की उपेक्षा करना और उन्हें अस्वीकार करना।
समाज में चित्रित लिंग भूमिकाओं को प्रबल करना।
अल्बर्ट बन्डुरा
बी.एफ. स्किनर
लेव वायगोत्स्की
जीन पियाजे
बच्चों के व्यवहार को निदेशित करने के लिए अध्यापक पुरस्कार और दंड का प्रयोग करता है।
अध्यापक लचीला है और प्रत्येक बच्चे की व्यक्तिगत आवश्यकताओं को पूरा करता है।
अध्यापक केवल पाठ्यपुस्तक को ज्ञान के स्रोत के लिए उपयोग करता है।
अध्यापक, बच्चों को उनकी क्षमता के आधार पर वर्गीकृत करता है।
बच्चों का संज्ञानात्मक विकास चरणों में होता है।
स्कीमा के परिपक्लन से बच्चों में संज्ञानात्मक विकास अग्रसर होता है।
बच्चों के संज्ञानात्मक विकास में भाषा की एक महत्वपूर्ण भूमिका है।
बच्चे 'भाषा अधिग्रहण यंत्र' द्वारा भाषा सीखते हैं।
भाषिक - मूर्तिकार
शारीरिक गति-संवेदनता - खिलाड़ी
स्थानिक - मनोवैज्ञानिक
अंतरावैयक्तिक - विक्रेता