एल. एस. वाइगोत्स्की
वान पावलॉव
नॉओम चॉम्स्की
जीन पियाजे
चॉम्स्की
थॉर्नडाइक
स्किनर
पावलोव
व्याकरण आधारित होता है
वक्ता पर निर्भर होता है
शब्दकोश के अनुसार होता है
सामाजिक-सांस्कृतिक सन्दर्भ से उपजता है
सभी शिक्षक एक से अधिक भाषा जानते हैं
अन्य विषयों की पाठ्य-पुस्तकें भाषा-प्रयोग के अनेक अवसर उपलब्ध होते हैं
अन्य विषयों को पढ़ने पर वैविध्यपूर्ण भाषा-प्रयोग के अनेक अवसर उपलब्ध होते हैं
अन्य विषयों के शिक्षक विषय के साथ-साथ भाषा भी सिखाते है
रोजगार प्राप्त करने के लिए ही भाषा सीखी जाती है
‘भाषा-अर्जन’ के लिए समृद्ध भाषायी परिवेश की आवश्यकता होती है -
‘भाषा-अधिगमन’ में सम्प्रेषण-कुशलता पर भी बल रहता है
भाषा-अर्जन सहज और स्वाभाविक होता है, जबकि भाषा-अधिगम प्रयासपूर्ण होता है
साधन है
साध्य है
अवरोधक है
साध्य एवं साधन दोनों है
सांकेतिक
मौखिक
लिखित
निर्धारित नहीं किया जा सकता