संसदीय कमिटी की रिपोर्ट के अनुसार विकसित देशों में हर साल 38 फीसदी कैंसर मरीज मौत का शिकार हो रहे हैं तो भारत में यह आंकड़ा 68 फीसदी है।इसका अर्थ है कि इलाज मरीजों तक नहीं पहुंच पा रहा है।पिछले साल भारत में 13 लाख नये कैंसर केस रिपोर्ट किए गए थे।समिति ने सिफारिश की है कि कैंसर को सस्ता करना सरकार की प्राथमिकता में होना चाहिए।वर्ल्ड कैंसर डे - 4 फरवरी।नेशनल कैंसर अवेयरनेस डे - 7 नवंबर।
इस रिपोर्ट में जी-20 समूह के देशों को शामिल किया गया है, जिसमें साल 1998 से 2017 तक ऑकड़ों को शामिल किया गया है।इन ऑकड़ों के अनुसार हर साल औसतन 16 हजार लोगों की मौत जलवायु परिवर्तन के कारण होती है, जिसमें सबसे ज्यादा नुकसान भारत को उठाना पड़ रहा है, जहां प्रतिवर्ष 3,661 लोगों की मौत जलवायु परिवर्तन के कारण होती है।इस रिपोर्ट के मुताबिक 80 प्रतिशत ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन के लिए जी - 20 समूह के देश जिम्मेदार हैं।जी-20 के सदस्य हैं - अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, रिपब्लिक ऑफ कोरिया, मैक्सिको, रुस, सउदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त राज्य अमेरिका, यूरोपीय संघ।
सैम्पल रजिस्ट्रेशन सिस्टम के अनुसार, दक्षिणी राज्यों में प्रति एक लाख जन्म पर एमएमआर 77 से घटकर 72 पर आ गया है जबकि यह आंकड़ा अन्य राज्यों में 93 से घटकर 90 हो गया है।भारत में मातृ मृत्यु दर में साल 2013 से अब तक 26.9 प्रतिशत की कमी आई है।केरल ने मातृ मृत्यु दर में गिरावट में पहला स्थान हासिल किया है।इसने एमएमआर में 46 से 42 तक की गिरावट दर्ज की है।मातृत्व मृत्यु दर (Maternal Mortality Rate-MMR) : प्रति एक लाख जीवित बच्चों के जन्म पर होने वाली माताओं की मृत्यु को मातृत्व मृत्यु दर (MMR) कहते हैं।
अमेरिका स्थित क्लाइमेट इम्पैक्ट लैब ने जलवायु परिवर्तन से संबंधित एक अध्ययन में बताया है कि भारत में इस सदी के अंत तक मृत्यु दर में 10% की बढ़ोत्तरी के साथ मौतो की संख्या में लगभग डेढ़ मिलियन की वृद्धि होगी।अध्ययन के अनुसार, अगले 20 वर्षो में भारत का ऊर्जा उपयोग दोगुने से अधिक हो जाएगा।इस ऊर्जा उपयोग में बड़े पैमाने पर जीवाश्म ईंधन का प्रयोग किया जाएगा।अगर उत्सर्जन अब भी उतना ही अधिक रहता है तो यह भारत में वर्ष 2100 तक प्रति 100,000 व्यक्तियों पर लगभग 64 व्यक्तियों की मौत का कारण बनेगा।
लोगों को इंसाफ (न्याय) देने वाले राज्यों की सूची में महाराष्ट्र पहले स्थान पर है, इसके बाद केरल और तमिलनाडु का स्थान है।यानी के वर्तमान में महाराष्ट्र राज्य में कानून व्यवस्था देश में सबसे अच्छी है।जबकि छोटे राज्यों (जहां जनसंख्या एक करोड़ से कम है) में गोवा पहले स्थान पर है और इसके बाद सिक्किम और हिमाचल प्रदेश है।अगर बात करें सबसे खराब कानून व्यवस्था वाले राज्यों की, तो इसमें पहले स्थान पर उत्तर प्रदेश है और इसके बाद त्रिपुरा और अरुणांचल प्रदेश का स्थान है।अपराध रिपोर्ट - 2017 के अनुसार देश के किस राज्य में महिलाओं के प्रति अपराध के सबसे ज्यादा मामले दर्ज किए गए हैं - उत्तर प्रदेश।
स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन द्वारा जारी नेशनल हेल्थ प्रोफाइल रिपोर्ट के अनुसार भारत में लोगों की जीवन प्रत्याशा वर्ष 1970-1975 में 49.7 की तुलना में वर्ष 2012-16 में 68.7 हो गई है. रिपोर्ट में बताया गया है कि इस दौरान महिलाओं की जीवन प्रत्याशा 70.2 वर्ष और पुरुषों की जीवन प्रत्याशा 67.4 वर्ष है. इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि भारत में 6.19% लोग हाइपरटेंशन से, 0.30% लोग हृदय रोग से और 0.26% लोग कैंसर से पीड़ित हैं.
इस सूची में कुल 100 सीईओ शामिल हैं जिसमें भारतीय मूल के तीन सीईओ शामिल हैं. छठवें स्थान के साथ एडोबी के शांतनु नारायण भारतीय मूल के सीईओ में सबसे ऊपर हैं. मास्टर कार्ड के सीईओ अजय बंगा को सातवां और माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ सत्या नडेला नौवें स्थान पर हैं. अमेरिका की प्रौद्योगिकी कंपनी एनवीडिया के सीईओ जेनसेन हुआंग सूची में पहले स्थान पर हैं.
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरोसाल 2017 – 18 के दौरान भारत में पंजीकृत आपराधिक रिकॉर्ड के आंकड़े जारी किए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, इस दौरान हत्या के मामलों में 3.6 प्रतिशत की कमी आई है।जबकि अपहरण के मामले 9 प्रतिशत बढ़ गये हैं। पूरे देश में हुए अपराधों में से सबसे ज्यादा 10.1 प्रतिशत अपराध केवल उत्तर प्रदेश में ही हुए हैं।महिलाओं के खिलाफ अपराध की कुल संख्या 3,59,849 मामले है, जबकि उत्तर प्रदेश 56,011 (10 प्रतिशत यूपी में) मामलों के साथ शीर्ष पर हैं।महाराष्ट्र 31,979 मामलों के साथ दूसरे स्थान पर तथा पश्चिम बंगाल 30,002 मामलों के साथ तीसरे स्थान पर है।बच्चो के प्रति अपराध – यू.पी नं – 1 भ्रष्टाचार के मामले – महाराष्ट्र नं – 1
vवर्ल्ड गिविंग इंडेक्स 2019 में 128
देशों की सूची में भारत को 82 वां स्थान प्राप्त हुआ है।
vइसके लिए चैरिटीज ऐड फाउंडेशन द्वारा
सर्वेक्षण किया गया था।
vइस सूचकांक के अनुसार पिछले दशक में
34% भारतीयों ने अनजान लोगों की सहायता
की है, 24% लोगों ने धन दान दिया है तथा 19
%
लोगों ने स्वयंसेवक के रुप में कार्य किया है।
vइस सूचकांक में अमेरिका पहले स्थान
पर है, इसके बाद म्यांमार, न्यूजीलैंड तथा ऑस्ट्रेलिया का स्थान है।
रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2017 में भारत में तपेदिक रोगियों की संख्या 27.4 लाख थी। जो वर्ष 2018 से घटकर 26.9 लाख हो गई। वर्ष 2017 में प्रति एक लाख लोगों पर तपेदिक के रोगियों की संख्या 204 थी जो कि वर्ष 2018 में घटकर 199 हो गई। इसका उद्देश्य तपेदिक के निदान के लिये वैश्विक, क्षेत्रीय तथा देशों के स्तर पर व्यक्त की गई प्रतिबद्धताओं और रणनीतियों के संदर्भ में व्यापक एवं अद्यतन मूल्यांकन करना है।