नादिरशाह फारस का शासक था।
उसे “ईरान का नेपोलियन” कहा जाता है।
भारत पर नादिरशाह का आक्रमण 16 फरवरी 1739 को हुआ था।
वह बहुत ही महत्वाकांक्षी चरित्र का व्यक्ति था और भारत की अपार धन संपदा के कारण है इस ओर आकर्षित हुआ।
मुगल सेना के साथ हुए नादिरशाह के युद्ध को ‘करनाल के युद्ध’ के नाम से जाना जाता है।
उस समय मुगल शासक मुहम्मद शाह था।
अकबरनामा को अबुल फजल ने सात वर्ष में पूरा किया था।
अबुल फजल ने 1589 में अकबरनामा लिखना शुरू किया था।
इसे अबुल फजल ने 1589 और 1596 के बीच लिखा था।
यह अकबर के शासनकाल का सबसे विस्तृत इतिहास है
शेरशाह के बचपन के दिनों में उसकी सौतेली मां बहुत सताती थी तो उन्होंने घर छोड़कर जौनपुर में पढ़ाई की।
पढ़ाई पूरी कर सिरसा 1522 में जमाल खान की सेवा में चले गए पर उनकी सौतेली मां को यह पसंद नहीं आया इसीलिए उन्होंने जमाल खान की सेवा छोड़ दी और बिहार के स्वघोषित स्वतंत्र शासक बहार खान लोहानी के दरबार में चले गए।
उसी समय हजरत-ए-आला की उपाधि ग्रहण की और दक्षिण बिहार का शासक बना।