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भरतमुनि
भानुदत्त
विश्वनाथ
भामह
कायिक
वाचिक
आहार्य
आंगिक
शान्त रस
श्रृंगार रस
भक्ति रस
वात्सल्य रस
क्रोध
भयानक
करुण
वीर
रौद्र रस
भयानक रस
हास्य रस
संचारी भाव
अनुभाव
रौद्र
शांत
नौ
दस
तैंतीस
आठ
संयोग श्रंगार रस
स्वेद
ग्लानि
रोमांच
अश्रु