India’s No.1 Educational Platform For UPSC,PSC And All Competitive Exam
कर्मधारय समा
अव्ययीभाव समा
तत्पुरूष समास
बहुव्रीहि समास
जिसमें कोई पद प्रधान नहीं होता तथा अन्य पद प्रधान होता है अर्थात् तीसरे पद की प्रधानता होती है, वहाँ बहुव्रीहि समास होता है।
कर्मधारय
तत्पुरूष
अव्ययीभाव
बहुव्रीहि
‘चक्रपाणिदर्शनार्थ’ में अव्ययीभाव समास है। इसका समास-विग्रह ‘चक्रपाणि के दर्शनार्थ’ होता है।
द्वन्द्व
‘रातोंरात’ में अव्ययीभाव समास है। इसका समास-विग्रह ‘रात ही रात’ होता है।
‘यथाविधि’ में अव्ययीभाव समास है। इसका समास-विग्रह ‘जैसी विधि निर्धारित है’ होता है।
‘आजन्म’ में अव्ययीभाव समास है। इसका समास-विग्रह ‘जन्म से या जन्म भर’ होता है।
द्विगु
‘अनुरूप’ में अव्ययीभाव समास है। इसका समास-विग्रह ‘जैसा रूप है वैसा’ होता है।
अव्ययीभाव समास
द्वन्द्व समास
'भरपेट' में अव्ययीभाव समास है। इसका समास-विग्रह 'पेट-भर' होता है।
'धीरे-धीरे' में अव्ययीभाव समास है।इसका समास-विग्रह ‘धीरे के बाद धीरे’ होता है।
'सरासर' में अव्ययीभाव समास है।
'यथारूचि' में अव्ययीभाव समास है। इसका समास-विग्रह 'रूचि के अनुसार' होता है।