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गद्यकाव्य
प्रबन्धकाव्य
मुक्तककाव्य
इनमें से कोई नहीं
अत्यन्त समीप में
नदी के तल में
न देने के अर्थ में
स: गृहं गच्छसि
त्वं गृहं गच्छति
अहं गृहं गच्छति
त्वं गृहं गच्छसि
पद्य की
गद्य की
व्याकरण की
कथा की
धृत्वा
धरति:
धृति:
धति
युवाम्
स:
वयम्
तस्मिन्
साधूक्तम्
पावक:
वागीश:
जलौघ:
रघुवंशम्
कुमारसम्भवम्
मालविकाग्निमित्रम्
मेघदूतम्
भवभूति
बाणभट्ट
भास
श्रीहर्ष
चतुर्थी
द्वितीया
पञ्चमी
षष्ठी