नीलोत्पलम् में कर्मधारय समास है।
नीलोत्पलम् - नीलम् उत्पलम्
कर्मधारय समास- विशेषण और विशेष्य का जो समास होता है, उसे कर्मधारय समास कहते हैं।
कर्मधारय समास में दोनों पदों में एक ही विभक्ति होती है।
जब दो विरोधी पदार्थों का संयोग एक साथ दिखाया जाय तो विरोधाभास अलंकार प्रस्तुत होता है।
यहाँ आत्मा के साथ मांसहीन, बुध्दिहीन इत्यादि गुण वाचक संज्ञाएं प्रयुक्त हैं जो परस्पर विरोधी हैं क्योंकि आत्मा का कोई रूप, आकार, गुणधर्म नहीं होता।