जिला C
इनमें से कोई नहीं
जिला A
जिला E
2013
इनमें से कोई नहीं
2012
2014
72.31%
इनमें से कोई नहीं
68.79%
88.54%
माँ-बाप का बीमार और लाचार होना और अपने द्वारा संतान पर किए अहसानों का लगातार गुणगान करते रहना
इनमें से कोई नहीं
माँ-बाप का संतान और उसके परिवार के, प्रति रूखा व्यवहार, वाणी का असंयम और बहू-बेटों की ज़िन्दगी में ज्यादा दखलंदाजी ।
माँ-बाप की आर्थिक स्थिति अच्छी होना
जो बच्चे संस्कारहीन और अविवेकी हैं और जो अपने भविष्य को नहीं देख पाते।
जो माँ-बाप बहू-बेटों के परिवार का सहारा बनकर रहते हैं और अपना अभिमत उन पर नहीं थोपते हैं।
जिनके माँ-बाप बच्चों और उनके परिवार को यथोचित सहारा और सम्मान देते हुए अपना जीवन शांति से बिताते हैं।
जिन माता-पिता द्वारा बच्चों को सही संस्कार दिए गए हैं और जो स्वयं संपन्न हैं।
जिनके बच्चे संस्कारहीन हैं और माँ-बाप समझदार नहीं हैं।
जिनके पास अब आमदनी का कोई स्रोत नहीं है।
जो माता-पिता बदलते समय के साथ अपने आप को बदल लेते हैं और बहू-बेटों और उनके परिवार को उचित सम्मान देते हैं।
इनमें से कोई नहीं
बुजुर्ग अगली पीढ़ी से सम्मान की अपेक्षा नहीं रखें ।
बुजुर्ग अपने हेकड़ी से भरे स्वभाव में बदलाव लाएँ।
बुजुर्ग अपनी जुबान पर संयम रखें ।
बुजुर्ग बुढ़ापे के लिए कुछ अर्जित करके रखें और अगली पीढ़ी के सदस्यों पर न बोझ बनें और न अपनी राय थोपें ।
युवा पीढ़ी ने दूसरों के कष्टों के बारे में सोचना बंद कर दिया है।
पीढ़ियों के अंतरण के कारण जीवन मूल्यों के बदलने से युवा पीढ़ी अदूरदर्शी और असहनशील होती जा रही है और उसकी ग्रहणशीलता कम होती जा रही है।
आज के युवा स्वावलम्बी और स्वतंत्र रहना चाहते हैं। वे स्वयं की और परिवार और नौकरी / व्यवसाय की परेशानियों से जूझ रहे हैं।
सभी युवा एक जैसे नहीं होते। कई युवा अभी भी पुराने लोगों को यथोचित सम्मान देते हैं।