धीमी गति से होता है एवं उसे मापा नहीं जा सकता।
बहुस्तरीय और मिश्रित होता है।
में केवल परिमाणात्मक परिवर्तन होते हैं।
अनियमित और असंबद्ध होता है।
किशोरावस्था से
पूर्व बाल्यावस्था से
उत्तर बाल्यावस्था से
शेशव अवस्था से
शैशवावस्था
गर्भकालीन अवस्था
बचपनावस्था
इनमें से कोई नहीं
बाल्यावस्था
शैशवावस्था
किशोरावस्था
प्रौढ़ावस्था
शैशवावस्था
उत्तर बाल्यकाल
किशोरावस्था
प्रौढ़ावस्था
हठी
समय की संकल्पना
सामाजिक संकल्पना
वीर पूजा
अमूर्त रूप से सोचने तथा वैज्ञानिक तर्क का प्रयोग करने की योग्यता विकसित होती है।
बच्चे तार्किक एवं मूर्त रूप से सोचना प्रारंभ कर देते हैं।
अधिगम मुख्य रूप से संवेदी एवं चालक गतिविधियां द्वारा घटित होता है।
शरीरिक वृद्धि एवं विकास बहुत तेज से होता है।
प्रतीकात्मक-खेल का उभरना
तर्कसंगत विचारों का विकास, जो कि प्राकृतिक रूप से मूर्त है।
पेशीय कौशल और समग्र शारीरिक वृद्धि का तेजी से विकास।
वैज्ञानिक तर्क और अमूर्त रूप से सोचने की क्षमता का विकास।
समकालीन सामाजिक-संरचनावादी मनोवैज्ञानिकों के अनुसार, यह एक सामाजिक संरचना है।
यह है कि बच्चे दुष्ट रूप में पैदा होते हैं और उन्हें सभ्य बनाना होता है।
यह कि बच्चे शून्य शुरुआत करते हैं और उनके गुण पूरी तरह से परिवेश के द्वारा निर्धारित किए जाते हैं।
यह विभिन्न सांस्कृतिक संदर्भो में सार्वभौम रूप से समान है।
3 अथवा 4 वर्ष
6 अथवा 7 वर्ष
8 अथवा 9 वर्ष
इनमें से कोई नहीं