नीलोत्पलम् में कर्मधारय समास है।
नीलोत्पलम् - नीलम् उत्पलम्
कर्मधारय समास- विशेषण और विशेष्य का जो समास होता है, उसे कर्मधारय समास कहते हैं।
कर्मधारय समास में दोनों पदों में एक ही विभक्ति होती है।
‘सविता’ ताम्रः उदेति।
श्लोक का अर्थ है-
“जिस प्रकार सूर्य उदय और अस्त के समय ताम्रवर्ण का ही रहता है उसी प्रकार महान लोग सम्पत्ति एवं विपत्ति दोनों परिस्थितियों में एक ही समान रहते हैं।”