कर्मधारय का
चतुर्थी तत्पुरुष का
प्रादि तत्पुरुष का
द्वितीया तत्पुरुष का
आख्यातोपयोगे
जनिकर्त्तु: प्रकृति:
पराजेरसोढ़:
भुव: प्रभवश्च
वचन के अनुसार
कर्म के अनुसार
लिङ् के अनुसार
कर्त्ता के अनुसार
आलस्य की अधिकता।
धर्म का ज्ञान न होना।
जानकारी की कमी।
कमजोर मन, उद्देश्य का निश्चित न होना तथा चंचल मनोवृत्ति का होना।