कोहलबर्ग ने बिना किसी अनूभूतिमूलक आधार के सिद्धांत प्रस्तुत किया।
कोहलबर्ग ने प्रस्ताव किया कि नैतिक तार्किकता विकासात्मक है।
कोहलबर्ग ने पुरूषों एवं महिलाओं की नैतिक तार्किकता में सांस्कृतिक विभिन्नताओं को महत्व नहीं दिया।
कोहलबर्ग ने नैतिक विकास की स्पष्ट अवस्थाओं का उल्लेख नहीं किया।
कोहलबर्ग ने अपने अध्ययन को मूलत: पुरूषों के नमूनों पर आधूत रखा है।
कोहलबर्ग ने नैतिक तर्क के प्रत्येक सोपान के लिए विशेष उत्तर नहीं दिया है।
अपनी सैद्धांतिक रूपरेखा पर पहुंचने के लिए कोहलबर्ग ने पियाजे के सिद्धांतों को दोहराया है।
कोहलबर्ग का सिद्धांत बच्चों के प्रत्यउत्तरों पर ध्यान केंद्रित नहीं करता।
प्रसुप्ति अवस्था
सामाजिक अनुबंध अभिविन्यास
मूर्त संक्रियात्मक अवस्था
उद्योग बनाम अधीनता अवस्था
'अच्छा लड़का-अच्छी लड़की लड़की' अभिमुखीकरण
सामाजिक-अनुबंध अभिमुखीकरण
सहायक उद्देश्य अभिमुखीकरण
दंड और आज्ञापालन अभिमुखीकरण
पारंपरिक स्तर
पूर्व-पारंपरिक स्तर
उत्तर-पारंपरिक स्तर
सामाजिक व्यवस्था बनाए रखने वाला स्तर
पश्च-परंपरागत
पूर्व-परंपरागत
परा-परंपरागत
परंपरागत
दंड और आज्ञापालन अभिविन्यास
सामाजिक-क्रम व्यवस्था अभिविन्यास
यंत्रीय उद्देश्य अभिविन्यास
सार्वभौमिक नैतिक सिद्धांत अभिविन्यास
दंड-आज्ञाकारिता अनुकूलन
सामाजिक संकुचन अनुकूलन
अच्छी लड़की-अच्छा लड़का अनुकूलन
कानून और व्यवस्था अनुकूलन
पूर्व पारंपरिक अवस्था
पारंपरिक अवस्था
पश्चात पारंपरिक अवस्था
उपरोक्त में से कोई नहीं
दंड एवं आज्ञापालन अभिविन्यास
सार्वभौम नैतिक सिद्धांत अभिविन्यास
यंत्रीय उद्देश्य अभिविन्यास
सामाजिक-क्रम नियंत्रक अभिविन्यास