नागभट्ट प्रथम गुर्जर प्रतिहार राजवंश का दूसरा राजा था।
इसने हरिशचंद के बाद सत्ता संभाली पुष्प भूति साम्राज्य के हर्षवर्धन के बाद पश्चिमी भारत पर उसका शासन था, उसकी राजधानी कन्नौज थी।
इसने गुर्जर प्रतिहार के उज्जयिनी शाखा का संस्थापक था।
नागभट्ट प्रथम मेवाड़ का शासक था।
नागभट्ट प्रथम गुर्जर प्रतिहार राजवंश का दूसरा राजा था।
इसने हरिशचंद के बाद सत्ता संभाली पुष्प भूति साम्राज्य के हर्षवर्धन के बाद पश्चिमी भारत पर उसका शासन था, उसकी राजधानी कन्नौज थी।
इसने गुर्जर प्रतिहार के उज्जयिनी शाखा का संस्थापक था।
नागभट्ट प्रथम कन्नौज का शासक था।
गुर्जर प्रतिहार राजवंश की स्थापना नागभट्ट ने 725 ईसवी में की थी।
उसने राम के भाई लक्ष्मण को अपना पूर्वज बताते हुए अपने वंश को सूर्यवंश की शाखा सिद्ध किया।
गुर्जर प्रतिहार सूर्यवंश का होना सिद्ध करते हैं तथा गुर्जर प्रतिहारों के शिलालेखों पर अंकित सूर्यदेव की कलाकृतियों भी इनके सूर्यवंशी होने की पुष्टि करती है।
बुंदेलखंड मध्य भारत का एक प्राचीन क्षेत्र है।
इसका प्राचीन नाम जो जेजाकभूति है।
इसका विस्तार उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में भी है।
बुंदेली इस क्षेत्र की मुख्य बोली हैय़
भौगोलिक और सांस्कृतिक विविधताओं के बावजूद बुंदेलखंड में जो एकता और समर्थन के लिए जाना जाता है।
आल्हा मध्य भारत में स्थित ऐतिहासिक बुंदेलखंड के सेनापति थे और अपनी वीरता के लिए विख्यात थे।
आल्हा के छोटे भाई का नाम ऊदल था और वह भी वीरता में अपने भाई से बढ़कर ही था।
ये दोनों उत्तर प्रदेश के महोबा जिला से संबंधित थे।
खजुराहो भारत के मध्य प्रदेश प्रांत में स्थित एक प्रमुख शहर है जो अपने प्राचीन एवं मध्यकालीन मंदिरों के लिए विश्व विख्यात है।
यह मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित है।
यह बहुत बड़ी हिंदू और जैन मंदिर है।
खजुराहो स्थित मंदिर का निर्माण चंदेल राजपूत के समय में हुआ था।
पृथ्वीराज चौहान, चौहान वंश के हिंदू क्षत्रिय राजपूत राजा के जो उत्तर भारत में 12 वीं सदी के उत्तरार्ध में अजमेर और दिल्ली पर राज करते थे।
वे भारतेश्वर, पृथ्वीराज तृतीय, हिंदूसम्राट, सपा दलतेश्वर राय पिथौरा इत्यादि नाम से भी प्रसिद्ध है।
हम्मीर महाकवि जैन विद्वान नायक चंद्र सूरी द्वारा लिखित 15 वीं सदी की भारतीय संस्कृत महाकाव्य है।
यह 13 वीं शताब्दी के चम्हां राजा हमीर की एक पौराणिक जीवनी है ।
हम्मीर महाकाव्य में चौहानों को सूर्यवंशी बताया गया है।
जयानक पृथ्वीराज चौहान के राजकवि थे।
यह पृथ्वीराज विजय महाकाव्य के रचयिता थे।
जयानक को कहीं जगन्नाथ भी लिखा गया है।
वह कश्मीरी चरित्र लेखकों मे से एक थे।
जयानक की प्रसिद्ध पुस्तक पृथ्वीराज विजय संभवत 1192 से 1193 के बीच लिखी गई थी।
पृथ्वीराज रासो हिंदी भाषा में लिखी एक महाकाव्य है।
जिसमें पृथ्वीराज चौहान के जीवन और चरित्र का वर्णन किया गया है।
इसके रचयिता चंद्र बरदाई पृथ्वीराज के बचपन के मित्र और उसके राजकवि थे।
उसकी युद्ध यात्राओं के समय वीर रस की कविताओं से सेना को प्रोत्साहित भी करते थे।
1. शारंगधर - हम्मीर रासो
2. चंदबरदाई - पृथ्वीराज रासो
3. जगनिक - आल्हाखंड
4. नरपति - विशाल देव
5. हम्मीर - नामकचंद्र सूरी
6. पृथ्वीराज विजय - जयानक