UPSSSC PET Live Test 20 August 2021

01. कौन सा व्यंजन संधि नहीं है -

  • 1

    उद्धरण

  • 2

    तद्धित

  • 3

    वाग्जाल

  • 4

    रसायन

02. अनेक शब्दों के लिए एक शब्द के निम्नलिखित विकल्पों में से कौन गलत है -

  • 1

    जंगल की आग - दावानल

  • 2

    आगे की सोचने वाला - अग्रगामी

  • 3

    समुद्र की आग - बड़वानल

  • 4

    पेट की आग - जठराग्नि

03. निम्नलिखित वाक्यों में से एक वाक्य अशुद्ध है -

  • 1

    काशी सदैव से भारतीय संस्कृति का केन्द्र रहा है।

  • 2

    गाँधीजी का चरखा चलाना ‘स्वदेशी’ का प्रतीक था।

  • 3

    वन-जीवन के कष्टों का भय भी सीता को राम के अनुगमन से रोक नहीं सका।

  • 4

    अपनी कुशल रणनीति से शिवाजी ने विपक्षियों के छक्के छुड़ा दिये थे।

04. ‘जंगम’ का विलोम शब्द है -

  • 1

    अगम

  • 2

    दुर्गम

  • 3

    स्थावर

  • 4

    चंचल

06. ‘व्यवहार’ का संधि - विच्छेद है -

  • 1

    वि + अव + हार

  • 2

    व्यव + हार

  • 3

    व्य + वहार

  • 4

    व्य + व + हार

07. कौन सा स्त्रीलिंग शब्द है -

  • 1

    छाछ

  • 2

    तिल

  • 3

    काढ़ा

  • 4

    टेसू

08. ‘अलि - अली’ शब्द युग्म का सही अर्थ है -

  • 1

    कंधा - हिस्सा

  • 2

    भौंरा - सखी

  • 3

    दमन - दामन

  • 4

    दसन - दर्शन

09. ‘उर्वशी’ किसका काव्य है -

  • 1

    जयशंकर प्रसाद

  • 2

    मैथिलीशरण गुप्त

  • 3

    रामधारी सिंह दिनकर

  • 4

    महादेवी वर्मा

10. नीचे दिए गए गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सही, सबसे उचित उत्तर वाले विकल्प को चुनिए - शिक्षा आज दुविधा के अजब दोराहे पर खड़ी है। एक रास्ता चकाचौंध का है, मृगतृष्णा शिक्षार्थी को लोभ-लालच देकर अपनी तरफ दौड़ाते रहने को विवश करने को उतारु खड़ी है। बाजार के इन ललचाने वाले रास्तों पर आकर्षण है, चकाचौंध है और सम्मोहित कर देने वाले सपने है। दूसरी तरफ शिक्षा का साधना मार्ग है जो शांति दे सकता है, संतोष दे सकता है। निश्चित ही वह मार्ग श्रेयस्कर है। इस दोराहे पर खड़ा शिक्षार्थी बाजार को चुन लेता है। लाखों-करोड़ों लोग आज इसी रास्ते के लालच में आ गए हैं और शिक्षा के भँवरजाल में फँस गए हैं। बाजार की खूबी यही है कि वह फँसने का अहसास किसी को नहीं होने देता और मनुष्य लगातार फँसता चला जाता है। किसी को यह महसूस नहीं होता कि वह दलदल में है बल्कि महसूस वह होता है कि बाजार द्वारा दिए गए पैकेज के कारण वह सुखी है। अब यह अलग बात है कि सच्चा सुख क्या है? और सुख का भ्रम क्या है? जरुरत विचार करने का है। सवाल यह है कि बाजार विचार करने का भी अवकाश देता है या कि नहीं। “मृगतृष्णा” का तात्पर्य है -

  • 1

    देर से लगी हुई प्यास का एहसास

  • 2

    किसी को फँसाने का षड्यंत्र

  • 3

    हिरनों की प्यास का सामुहिक नाम

  • 4

    दूर से ललचाने वाली वस्तु का भ्रम

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